पिंजर – एक मार्मिक कहानी -अमृता प्रीतम- पुस्‍तक परिचय-हिन्‍दी

पिंजर – एक मार्मिक कहानी -अमृता प्रीतम

 

पिंजर

एक मार्मिक कहानी

लेखिका- अमृता प्रीतम

 जिस पर विश्‍व-प्रसिध्द निर्देशक डॉ. चन्‍द्रप्रकाश व्दिवेदी ने फिल्‍म बनाई 

PINJAR – A Novel by Amrita Pritam

पुस्‍तक परिचय-हिन्‍दी

 

यह उपन्‍यास दुनिया की आठ भाषाओं में प्रकाशित हुआ है और जिसकी कहानी भारत के विभाजन की उस व्‍यथा को लिए हुए है, जो इतिहास की वेदना भी है और चेतना भी–

‘’पूरो’’ इसी उपन्‍यास की किरदार है, जो घटनाओं की आग में जलती-बुझती इस चेतना को पा लेती है-

‘’कोई भी लड़की जो ठिकाने पहॅुंच रही है वह हिन्‍दु हो या मुसलमान, समझना कि मेरी आत्‍मा ठिकाने पहॅुंच रही है|’’

पिंजर – एक मार्मिक कहानी -अमृता प्रीतम

पंछी, नदियॉं, पवन के झोंके,

कोई सरहद ना इन्‍हें रोके,

सरहदें इन्‍सा-नों के लिए हैं,

सोंचो हमने... और तुमने....

क्‍या पाया... इन्‍सां हो के.... 

 

अभिषेक बच्‍चन और करिना कपूर की रेफ्युजी-फिल्‍म के इस गीत की यह पंक्तियां बिल्‍कुल सटीक बैठती हैं अमृता प्रीतम लिखित पिंजर इस उपन्‍यास पर.   

धर्म के नाम पर देश का बॅंटवारा, अंग्रेज़ों की बदौलत अखंड भारत देश को विभाजीत कर टुकडों में बिखेर दिया गया|  अपने अस्तित्‍व के एहसास से अन्‍जान इस ज़मीन पर सरहदें खिंचगई, लेकिन मनुष्‍य को अपने अस्तित्‍व को लेकर सरहद के इसपार या उसपार जाने पर मजबूर कर दिया| सैंकडों-हजारों नही लाखों परिवार बिछड़ गए, बचपन, जवानी, और रिश्‍ते उजाड़ दिये गए|

बचपन जिस खेतों में बिता, पहली वर्षासे ज़मीन की जिस मिट्टी की सौंधी खु़शबू से मन को अपनेपण का जो एहसास होता था, उसी ज़मीन पर धर्म-मज़हब और बॅंटवारे के नाम पर अनगिनत परिवारोंको बिछड़ा दिया, अपनोंसे पराया कर दिया|

किसी का बचपन खो गया, तो किसी ने जवानी की सुबह ही नहीं देखी, बेकसूर और मासूम बच्‍चे-बड़े-बुढे किसी को नहीं देख पाने वाली उस अंधी ऑंधीने घरों को उजाड दिया, कईयों के अरमानों को बिखेर दिया, झरने, नदियॉं, तालाबों का पानी और खेतों की मिट्टी कईयों के खू़न से लाल हो गई|   

बॅंटवारे का असर ऐसा हुआ की कईयों को न चाहतेहुए भी अपनों से दूर जाना पड़ा| इसी पीडा को लेकर अनेकों परिवार सरहद पार चले गए| भारत के विभाजन में अनेकों परिवारों के दुःख-वेदना को, “पुरो जो इस उपन्‍यास का किरदार है, इसी व्‍यथा को शब्‍दों में बॉंधने का कार्य यह उपन्‍यास करता है|

अमृता प्रीतम जी ने कुछ इस तरह पिंजर को पेश किया है कि पढ़ते-पढ़ते ही आप उस समय-काल को जी-उठते हैं| मन की पीड़ा को शब्‍दों में बांधकर विभाजनकाल के पिडीतोंकी भावनाओं को समझने की कोशिश में यह उपन्‍यास पुरी तरह से सफल है|

इस उपन्‍यास की एक विशेषता यह भी है की, खोए अपनों की खोजमें ऑंखें बिछाए पुरो के रूप में हम स्‍वयंको ज़ोडकर उस पात्र की पीड़ा से रूबरू होने से खु़द को नहीं रोक पाते हैं|     

 

PINJAR – A Novel by Amrita Pritam

पिंजर – लेखिका- अमृता प्रीतम

एक मार्मिक कहानी

पुस्‍तक परिचय-हिन्‍दी

 

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